अबू सईद और अबू हुरैरा- रज़िल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "मुसलमान को जो भी रोग, थकान, दुख, गम, कष्ट और विपत्ति पहुँचती है, यहाँ तक कि एक काँटा भी चुभता है, तो उसके ज़रिए अल्लाह उसके गुनाहों को मिटा देता है।
«النَّاسُ مَعَادِن كَمَعَادِن الذَّهَب وَالفِضَّة، خِيَارُهُم فِي الجَاهِلِيَّة خِيَارُهُم فِي الإِسْلاَم إِذَا فَقُهُوا، والأَرْوَاحُ جُنُودٌ مُجَنَّدَة، فَمَا تَعَارَفَ مِنْهَا ائتَلَفَ، وَمَا تَنَاكَرَ مِنْهَا اخْتَلَفَ». [متفق عليه]