अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जब तुममें से कोई रात को नमाज़ पढ़े और उसकी ज़बान पर क़ुरआन ठीक से न आ रहा हो और उसे पता न चल रहा हो कि क्या कुछ पढ़ रहा है, तो सो जाए।
«لا تُلْحِفُوا في المسأَلة، فوالله لا يَسْألني أحدٌ منكم شيئًا، فَتُخْرِجَ له مسألته منِّي شيئًا وأنا له كارِهٌ، فيُبَارَك له فيما أَعْطَيتُه» رواه مسلم