ईर्ष्या केवल दो प्रकार के लोगों से रखना जायज़ है; एक वह व्यक्ति, जिसे अल्लाह ने धन प्रदान किया हो तथा उसने उस धन को सत्य के मार्ग में खर्च करने पर लगा दिया हो तथा दूसरा वह व्यक्ति, जिसे अल्लाह ने हिकमत (अंतर्ज्ञान) प्रदान की हो और वह उसी के अनुसार निर्णय करता हो और उसकी शिक्षा देता हो।