अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “जिसने दिन भर में सौ बार 'सुबहानल्लाहि व बिह़म्दिहि' (अल्लाह के लिए पाकी है उसकी प्रशंसा के साथ) कहा, उसके सारे पाप क्षमा कर दिए जाएँगे, यद्यपि वे समुद्र के झाग के बराबर ही क्यों न हों।
«مَنْ قَالَ: سُبْحَانَ اللَّهِ وَبِحَمْدِهِ في يومٍ مِائَةَ مَرَّةٍ حُطَّتْ عَنْهُ خَطَايَاهُ وَإِنْ كَانَتْ مِثْلَ زَبَدِ الْبَحْرِ». [متفق عليه]