जब सूरज का किनारा दिखाई दे, तो नमाज़ पढ़ना बंद कर दो, यहाँ तक कि वह पूरे तौर पर ज़ाहिर हो जाए और जब सूरज का किनारा ग़ायब हो जाए, तो नमाज़ पढ़ना बंद कर दो, यहाँ तक कि वह पूरे तौर पर डूब जाए। तथा सूरज डूबने एवं निकलने का समय देखकर ही नमाज़ न पढ़ो; क्योंकि सूरज शैतान की दो सींगों के बीच में निकलता है।
«إذا طلعَ حاجبُ الشمس فدَعُوا الصلاةَ حتى تَبْرُزَ، وإذا غاب حاجبُ الشمس فدَعُوا الصلاةَ حتى تغيبَ، ولا تَحَيَّنُوا بصلاتِكم طُلُوعَ الشمسِ ولا غروبَها، فإنَّها تطلُعُ بيْن قَرْنَيْ شيطان، أو الشيطان». (البخاري)