अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हमसे जो नेक वचन लिए थे और आदेश दिया था कि हम उनमें से किसी भी वचन का उल्लंघन न करें, उनमें से यह भी था कि हम (किसी की मौत के गम में) चेहरे को न नोचें और न ही हाय बर्बादी, हाय बर्बादी! पुकारें और न गरीबान फाड़ें और न बालों को नोचें या बालों को खोलकर अपने गम का इज़हार करें।
عن أسيد بن أبي أسيد التابعي، عن امرأة من المبايعات، قالت: كان فيما أخذ علينا رسولُ الله -صلى الله عليه وسلم- في المعروف الذي أخذ علينا أن لا نعصيه فيه: أن لا نَخْمِشَ وجهًا، ولا نَدْعُوَ وَيْلًا، ولا نَشُقَّ جَيْبًا، وأن لا نَنْشُرَ شَعْرًا. [صحيح.] - [رواه أبو داود.]