अब्दुल्लाह बिन उमर- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः निश्चय ही, अल्लाह बंदे की तौबा उस समय तक कबूल करता है, जब तक उसकी जान गले में न आ जाए।
«إن الله -عز وجل- يقبل تَوْبَةَ العَبْدِ ما لم يُغَرْغِرْ». (ابن ماجه)