अब्दुल्लाह बिन अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "दो आँखों को जहन्नम की आग छू भी नहीं सकती; एक वह आँख जो अल्लाह के डर से रोए और दूसरी वह आँख जो अल्लाह के मार्ग में पहरेदारी करते हुए जागे।
"«عَيْنَانِ لاَ تَمسُّهُمَا النَّار: عَيْنٌ بَكَتْ من خَشْيَة الله، وعَيْنٌ بَاتَت تَحْرُسُ في سَبِيل الله». [رواه الترمذي.]"