अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "बंदा अपने रब से सबसे अधिक निकट उस समय होता है, जब वह सजदे में होता है। अतः, तुम उसमें अधिक दुआएँ किया करो।
«ثنتان لا تُرَدَّانِ، أو قلما تردان: الدعاء عند النداء وعند البأس حِينَ يُلْحِمُ بَعْضُهُ بَعْضًا». [صحيح.] - [رواه أبو داود.]