अबू हुरैरा (रज़़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सजदे की हालत में यह दुआ करते थेः “हे अल्लाह, तू मेरे समस्त पापों को क्षमा कर दे; छोटे-बड़े, स्पष्ट-अस्पष्ट तथा अगले-पिछले सभी को।
يا أيُّهَا النَّاسُ، تُوبُوا إلى اللهِ واسْتَغْفِرُوهُ، فَإنِّي أَتُوبُ في اليَّومِ مائةَ مَرَّةٍ (مشلم)