अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः कर्तव्यनिष्ठ दास के लिए दोगुना प्रतिफल है। उसकी क़सम जिसके हाथ में अबू हुरैरा की जान है, यदि अल्लाह के मार्ग में जिहाद, हज तथा माँ की देख-रेख की ज़िम्मेवारी न होती तो मैं इस बात को पसंद करता कि दासता की अवस्था में मरूँ।
«لاَ يَجْزِي ولدٌ والدًا إلا أن يجده مملوكًا، فَيَشْتَرِيَهُ فَيُعْتِقَهُ». [مسلم]