ऐ मुआज़! उन्होंने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मैंं उपस्थित हूँ। आपने फिर कहा: ऐ मुआज़! उन्होंने दोबारा कहा: ऐ अल्लाह के रसूल, मैं उपस्थि हूँ! आपने फिर कहा: ऐ मुआज़! तो उन्होंने तीसरी बार कहा: ऐ अल्लाह के रसूल, मैं उपस्थित हूँ! तीसरी बार के बाद आपने फ़रमाया: जिस बंदे ने सच्चे दिल से यह गवाही दी कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बंदे तथा उसके रसूल हैं, अल्लाह उसे जहन्नम पर हराम कर देगा। उन्होंने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! क्या मैं लोगों को आपकी यह बात बता न दूँ कि वे ख़ुश हो जाएँ? आपने फ़रमाया: तब तो वे इसी पर भरोसा कर बैठेंगे। तो मृत्यु के समय मुआज़ (रज़ियल्लाहु अनहु) ने गुनाह के भय से यह हदीस लोगों को बता दी।
«نَضَّرَ اللهُ امْرَأً سَمِع مِنَّا شيئا، فَبَلَّغَهُ كما سَمِعَهُ، فَرُبَّ مُبَلَّغٍ أوْعَى مِن سَامِعٍ». [الترمذي وابن ماجه وأحمد.]