तीन आदमी ऐसे हैं, जिनको दोगुना सवाब मिलेगा। एक वह अह्ले किताब (यहूदी और ईसाई) जो अपने नबी पर ईमान लाया और फिर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाया। दूसरा वह ग़ुलाम जो अल्लाह का और अपने मालिकों का हक़ अदा करता रहा और तीसरा वह व्यक्ति जिसके पास कोई दासी हो, फिर वह उसे सदाचार सिखाए और अच्छी तरह सिखाए तथा शिक्षा दे और अच्छी से अच्छी शिक्षा दे और आज़ाद करके शादी कर ले, तो उसके लिए भी दोगुना सवाब है।
«تَجِدُون النَّاسَ مَعَادِن: خِيَارُهُم فِي الجَاهِليَّة خِيَارُهُم فِي الإِسْلاَم إِذَا فَقِهُوا، وَتَجِدُون خِيَار النَّاس فِي هَذَا الشَّأْن أَشَدُّهُم كَرَاهِيَة لَه، وَتَجِدُون شَرَّ النَّاس ذَا الوَجْهَين، الَّذِي يَأْتِي هَؤُلاَء بِوَجه، وَهَؤُلاَء بِوَجْه». [متفق عليه]